नागार्जुन (धातुविज्ञानी) ६.

नागार्जुन भारत के धातुकर्मी एवं रसशास्त्री (alchemist) थे। चीनी और तिब्बती साहित्य के अनुसार वे 'वैदेह देश' (विदर्भ) में जन्मे थे और पास के सतवाहन वंश द्वारा शासित क्षेत्र में चले गये थे। इसके अलावा इतिहास में महायान सम्प्रदाय के दार्शनिक नागार्जुन तथा रसशास्त्री नागार्जुन में भी भ्रम की स्थिति बनी रहती है। महाराष्ट्र के नागलवाडी ग्राम में उनकी प्रयोगशाला होने के प्रमाण मिले हैं। कुछ प्रमाणों के अनुसार वे 'अमरता' की प्राप्ति की खोज करने में लगे हुए थे और उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण का ज्ञान था।

द्वितीयक साहित्य में भी रसशास्त्री नागार्जुन के बारे में बहुत ही भ्रम की स्थिति है। पहले माना जाता था कि रसरत्नाकर नामक प्रसिद्ध रसशास्त्रीय ग्रन्थ उनकी ही रचना है किन्तु १९८४ के एक अध्ययन में पता चला कि रसरत्नाकर की पाण्डुलिपि में एक अन्य रचनाकार (नित्यानन्द सिद्ध) का नाम आया है।[1]

नागार्जुन (धातुविज्ञानी) ६.

सम्पादयतु

नागार्जुन ( नागार्जुन ) भारतीयधातुशास्त्रज्ञः कीमियाविज्ञानी च आसीत् | एकादशशताब्द्यां अल-बिरुनी इत्यनेन अभिलेखिताः आख्यायिकाः कथयन्ति यत् सः उज्जैन्, मध्यप्रदेशस्य प्रायः "शतवर्षपूर्वम्" अर्थात् दशमशताब्द्याः आरम्भे एव निवसति स्म [] चीनी - तिब्बती - साहित्यं कथयति यत् सः विदर्भ - नगरे जन्म प्राप्य ततः समीपस्थे सतवाहन - वंशं प्रवासं कृतवान् | महायान सम्प्रदाय संस्थापक नागार्जुन एवं कीमियाज्ञ नागार्जुन के बीच इतिहास में बहुत भ्रम होता है। अन्यः मान्यता अस्ति यत् एषः रससिद्धः नागार्जुनः गुजरातदेशे जन्म प्राप्नोत् तथा च सः स्वस्य अतीतजीवने जैनः आसीत्। अनन्तरं दक्षिणभारते विविधस्थानानि गत्वा अनेकानि प्रयोगशालानि स्थापितानि । महाराष्ट्रराज्यस्य ग्रामे नागलवाडी इत्यत्र तस्य प्रयोगप्रयोगशालायाः प्रमाणानि प्राप्यन्ते । केषाञ्चन प्रमाणानुसारं सः अमृतत्वस्य कार्यं कुर्वन् आसीत्, लोहस्य पारायाश्च निष्कासनं जानाति स्म । गौणसाहित्ये अस्य लेखकस्य विषये बहु भ्रमः अस्ति । १९८४ तमे वर्षे लोहशास्त्रज्ञनागार्जुनेन सह सम्बद्धानां पाण्डुलिपानां मुद्रितसंस्करणानाञ्च अध्ययनेन ज्ञातं यत् तस्य नाम रसेन्द्रमङ्गला [] इति ग्रन्थेन सह सम्बद्धम् अस्ति किन्तु रसरत्नाकरस्य पाण्डुलिप्याः एकरूपतया भिन्नस्य लेखकस्य नित्यनाथसिद्धस्य आरोपः अस्ति []

नागार्जुननामकस्य लेखकस्य पाण्डुलिपिषु जीवसूत्रम्, [] रसवैषिकसूत्रम्, [] योगशतकम्, [] कक्षपुतम्, [] योगरत्नमाला [] [] इत्यादीनि अनेकानि ग्रन्थानि (मेउलेनबेल्ड् पञ्चाशत् अधिकानि ग्रन्थानि सूचीबद्धानि) सन्ति । औषधशास्त्रस्य रसायनशास्त्रस्य च ग्रन्थानां लेखनार्थं अनेके भिन्नाः लेखकाः नागार्जुन इति नाम प्रयुक्तवन्तः, एते लेखकाः द्वितीयशताब्द्याः समाननाम्ना बौद्धदार्शनिकात् भिन्नाः भवेयुः इति निश्चितम्

नागार्जुननाम्ना सह सम्बद्धानां जटिलपाठ-ऐतिहासिकविषयाणां अद्यतनतमः व्यापकविमर्शः भारतीयचिकित्सासाहित्यस्य इतिहासे दत्ता अस्ति []

उद्धरणानि

सम्पादयतु
  1. Sachau, Eduard (1910). "Alberuni's India". archive.org. Trubner. p. 189. Sachau, Eduard (1910). "Alberuni's India". archive.org. Trubner. p. 189.
  2. २.० २.१ A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 193.  उद्धरणे दोषः : <ref> अमान्य टैग है; ":4" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  3. An Alchemical Ghost: The Rasaratnâkara by Nâgârjuna. 18 July 2013. pp. 70–83. 
  4. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 135. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IIA. Groningen: E. Forsten. p. 135. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.
  5. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 136. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IIA. Groningen: E. Forsten. p. 136. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.
  6. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 1395. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IIA. Groningen: E. Forsten. p. 1395. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.
  7. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 192. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IIA. Groningen: E. Forsten. p. 192. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.
  8. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. p. 714. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IIA. Groningen: E. Forsten. p. 714. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.
  9. A history of Indian medical literature. Groningen. 1999. pp. 363–368. Meulenbeld, Gerrit Jan (1999). A history of Indian medical literature. Vol. IA. Groningen: E. Forsten. pp. 363–368. ISBN 9069801248. OCLC 42207455.